जयपुर से प्रकाशित मीडिया त्रैमासिक शोध जर्नल 'कम्युनिकेशन टुडे' की वेबिनार श्रृंखला का 100वां एपिसोड 25 अक्टूबर, 2023 को "सोशल मीडिया कितना सोशल?" विषय पर आयोजित किया गया।
इस वेबिनार को संबोधित करते हुए पत्रकार, साहित्यकार और संस्कृति कर्मी इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली के सदस्य सचिव डॉ सच्चिदानंद जोशी ने 'सोशल मीडिया कितना सोशल?' विषय पर संबोधित करते हुए कहा कि सोशल मीडिया ने आज हमें छोटे-छोटे द्वीपों में बांट दिया है । यह सही है कि सोशल मीडिया ने मीडिया के क्षेत्र के एकाधिपत्य को तोड़ा है लेकिन उसके बावजूद भीड़ में भी हम अपने आप को अकेला महसूस करते हैं। सोशल मीडिया का यह एडिक्शन आपको अपने आप से अजनबी बना देता है। हम एक ऐसे प्रदर्शनकारी समाज में रह रहे हैं जहां हम अपने आप से भी संवाद नहीं कर पा रहे हैं।
डॉ जोशी ने सोशल मीडिया के 15 -16 वर्षों के ऐतिहासिक विकास क्रम को स्पष्ट करते हुए विविध सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स किस तरह से विभिन्न आयु वर्ग के समूह के लोगों को एडिक्शन की ओर ले जा रहे हैं, उसका गंभीर विवेचन विश्लेषण किया। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में सोशल मीडिया के डिएडिक्शन सेंटर स्थापित करने की नौबत आ सकती है।उन्होंने आज के दौर में विलुप्त हो रही सामाजिकता की भावना पर गहरी चिंता प्रकट की।
चर्चा में वनस्थली विद्यापीठ के प्रो अनिल मेहता,राजस्थान विश्वविद्यालय की प्रो जया चक्रवर्ती, एनआईएफटी, भुवनेश्वर की अपर्णा रस्तोगी, करीम सिटी कॉलेज, जमशेदपुर की डॉ नेहा तिवारी, बुलंदशहर की निधि गुप्ता, पीआरएसआई, जयपुर चैप्टर के अध्यक्ष रवि शंकर शर्मा, इलाहाबाद के शोधार्थी आशुतोष रंजन, कानपुर की डॉ रश्मि गौतम तथा मगध विश्वविद्यालय के आशीष रंजन आदि ने इस वेबिनार श्रृंखला की उपयोगिता और सामयिकता पर टिप्पणी करते हुए कम्युनिकेशन टुडे की पूरी टीम के प्रति शुभकामनाएं प्रकट की।
तकनीकी पक्ष आईआईएमटी यूनिवर्सिटी, मेरठ की मीडिया शिक्षक डॉ पृथ्वी सेंगर ने संभाला। इस वेबिनार में देश-विदेश के विभिन्न अंचलों से 299 प्रतिभागियों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया। अंत में डॉ उषा साहनी ने आभार प्रकट किया।