हिंदी पत्रकारिता का इतिहास, संघर्ष ओर वर्तमान समय में प्रासंगिकता
लेखक : मयंक सराठे (स्वतंत्र पत्रकार और विचारक)
जब हम हिंदी पत्रकारिता की बात करते हैं, तो उसकी गहराई और महत्व को समझना आवश्यक होता है। हिंदी पत्रकारिता एक ऐसी रचनात्मक कला है, जिसने भारतीय समाज को सदियों से चुनौतियों से लड़ते हुए आगे बढ़ाया है। इसका इतिहास रंग-बिरंगा है, जहां कठिनाइयाँ और संघर्ष सदैव उभरते रहे हैं, और आज के दिन में इसकी महत्वपूर्ण उपयोगिता है।
हिंदी पत्रकारिता का इतिहास संस्कृति और साहित्य के साथ मजबूती से जुड़ा हुआ है। हिंदी पत्रकारिता का सबसे प्रथम चरण अंग्रेजी शासन के दौरान था, जब अंग्रेज राज्यवादी प्रशासन को विरोध करने वाले विचारकों ने स्वतंत्रता आंदोलन के माध्यम से जनसाधारण तक अपने संदेश पहुंचाने का कार्य शुरू किया। यहां तक कि महात्मा गांधी ने भी अपने आंदोलनकारी विचारों को अपने लेखों के माध्यम से देशवासियों तक पहुंचाया।
जब हम हिंदी पत्रकारिता के रोचक और उत्कृष्ट इतिहास के बारे में बात करते हैं, तो हम यह जानते हैं कि हिंदी पत्रकारिता ने अपनी सामरिक और सांस्कृतिक लड़ाई में कठिनाइयों का सामना किया है। स्वतंत्रता संग्राम में इसने अपना अहम् योगदान दिया और भारतीय राष्ट्रीयता को समर्पित व्यक्तियों की आवाज बनी।
आज के दिन में भी हिंदी पत्रकारिता की महत्वपूर्ण उपयोगिता है। विभिन्न विषयों पर लेख और विचाराधीन लेखकों के माध्यम से इसका उपयोग लोगों को जागरूक करने, विचारों को स्पष्ट करने और समाज में परिवर्तन लाने में किया जाता है। हिंदी पत्रकारिता ने अपनी अद्भुत शक्ति से व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बढ़ावा दिया है और सामाजिक परिवर्तन को प्रोत्साहित किया है।
इस प्रकार, हिंदी पत्रकारिता ने अपने इतिहास के माध्यम से आज के दिन में अपार महत्वपूर्णता हासिल की है। इसकी संघर्षपूर्ण यात्रा और वर्तमान समय में इसकी प्रासंगिकता हमें यह सिखाती है कि हिंदी पत्रकारिता हमारी सोच और समाज को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।