वो बारिश और यादें
लेखक : कमलेश सोनार ✍️ , पत्रकारिता विद्यार्थी,
प्यार तो है लेकिन में केसे आ जाऊं आपको पता तो है मुझे किसी गांव वालो ने देख लिया तो मुझे मेरे घर वाले मार डालेंगे आप समझो ...उसके बाद तो उसका-मेरा मिलना मानो, किसी राजकुमारी से कोई राजकुमार मिलने जा रहा हो...
गांव से बाहर हम गाड़ी से निकले और दूर एक मंदिर के पास बैठे उसका हाथ मेरे हाथ पर था और डर-डर से कहने लगीं ,कहीं तुम मुझे छोड़ तो नहीं दोगे। न और मुझे यह किसी ने देख लिया तो समझो में मर जाऊंगी।
ये सुनते ही मेरे मन में एक मानो भूकंप आ गया था लेकिन मैंने कह दिया कि तुम मेरी हो और में तुम्हें कैसे छोड़ सकता हूँ।
कहीं साथ जीने और मरने के वादे हुए। हमने तो सोच लिया था अगले साल शादी कर के ये गांव छोड़ कर कहीं शहर में रहेंगे। वहा तो सुना है कोई किसी से पूँछता तक नहीं है हम भी जाएंगे तो वहीं रहेंगे।
हम दोनों मानो एक दूसरे में खोए रहते थे...उसकी हर बात मेरे लिए एक कानूनी धारा ही थी। जब उससे लगा अब जाना चाहिए! इससे पहले हमें कोई देख ले निकले लगे... कुछ ही दूर तय होने बाद तो रास्ते में बारिश होने लगी..। मुझे तो हीरो बाइक सवार हो कर आपनी हीरोइन को पीछे बिठा कर एक फिल्म में जैसा दिखाया जाता है। मुझे तो कुछ देर के लिए वैसा ही लगा फिर उसने मुझे कहा की ये बारिश अभी ही आना था में घर पहुँच जाती उसके बाद आ जाती तो क्या होता भगवान .. एक उसके अंदर घर वालो का दर अंदर से खाए जा रहा था। समय पर घर भी पहुंचना है मैं कहां...अरे जल्दी पहुँच जाएंगे आप इतना परेशान क्यों हो रही हो..?
जब बारिश में भींगते हुए कहा की क्या तुम्हें बारिश पसंद नहीं है..?
वो मुझसे कहने लगी चलो घर मुझे बारिश में डर सा लगता है कहीं हम पर बिजली न गिर जाए
जब उसकी ये बाते सुनी तो मुझे बहुत हँसी आ रही थी
मैंने भी कहा दिया तुम इतनी डरती हो तो हम आज पूरी रात यहीं रुख जाते है
मेने सोच लिया था इसके रोने से पहले मुझे यह से निकलना होगा
फिर क्या गाड़ी से सीधे आपने गांव की और जब गांव जाने लगे तो गांव वाला से डरना उसके प्यार में एक कानून सा हो गया था न सोच कर भी हमें गांव वालों ने देख ही लिया था
जब गांव वाले कहने लगें की ये सब अच्छा लगता है क्या तुम लोग घर पर पढ़ाई का नाम बोल कर मज़े करने जाते हो... और तू बेटी ज़रा तेरे बाप के बारे में तो सोच लेती क्या आपने बाप को पूरे गांव में नीचा दिखाना चाहती है...?तेरे बाप की गांव में कितनी इज़्जत है और तू ऐसे काम करेंगी हमने कभी सोचा नहीं था
मुझे इस बात का डर था कहीं ये घर न जा कर बोल न दे ..मैंने समझने की पूरी कोशिश की लेकिन ये तो घर जा कर ही रहेंगे गांव वाले कहने लगे हम दोनो के घर जाएंगे और इनके मां बाप को बोलेंगे की पढ़ाई करने के नाम से बाहर जाते हैं और बाहर जा कर फालतू काम करते हैं।
ये सुन कर उसके आखों में आँसू की नदी बहने लगी थी। दोनों को समझना मेरे बस में नहीं रहा मैंने जोर से बोल दिया जाओ और बोल दो हमारे घर वालों को और इसे कुछ हो जाए तो में पूरे गांव में आग लगा दूँगा।
ये सुन कर गांव वाले थोड़ा शांत हुए और हम वहां से निकल आए
मुझे तो पता था ये बात घर तक पहुँच जाएगी फिर भी में उसे समझा कर घर से कुछ दूर छोड़ आया और कहा की तुम कुछ गलत करने से पहले सो बार सोच लेना घर वालो को प्यार से समझना वो तुम्हें कुछ नहीं कहेंगे
मुझे कहने लगी तुम अपना ध्यान रखना में तुम से अब शयद ही मिल पाऊंगी
मैंने कहा ऐसा कुछ मत बोलो हम बहुत जल्द मिलेंगे और गांव वाले कुछ दिन बाद सब भूल जाएंगे तुम भी अपना ध्यान रखना और इतना परेशान होने की ज़रूरत नहीं है।
मैं वहां से निकल तो आया घर जब तक मेरे घर में गांव के कुछ लोग बाहर ही खड़े होकर बात करने लगे थे मुझे लगा अब घर में जाना चाहिए या कही और मैंने आपने आप से कहा जो होगा देखा जाएगा और घर चला गया कुछ देर बाद बाप की आवाज़ आती है, कहा था.. कहा था..।
मैं पूंछ रहा हूं कहां था ये आवाज़ सुन कर मुझ में डर ने आपनी जगह बना ली थी धीरे से बोला कही नहीं कॉलेज गया था बाबू जी बोले इतना समय क्यों लग गया जल्दी आना था हमे तेरी फिक्र रहती है..
भगवन ने आज मेरा साथ दे दिया और में आपने रूम में आ गया मुझे तो फिक्र उसकी हो रही थी कहीं इसके घर वालों को पता तो नहीं चल गया मन ही मन में कहीं विचार आ रहे है लेकिन खुद को समझता हूं ऐसा कुछ नहीं हो सब ठीक होगा..!
लेकिन जैसा मैंने सोचा वैसा कुछ भी नहीं हुआ।और उसके पिता जी को सब पता चल गया और उसी दिन उसको गांव छोड़ कर पुणे आपनी बड़ी बहन के यह छोड़ आए और में आपने गांव में ये सोच कर पागल हो रहा हूं वो मुझे एक दिन जरूर फ़ोन करेगी।
लेकिन, एक साल बीत जाने के बाद उसका फ़ोन आता है और कहती है.. आपकी याद बहुत आती हैं..लेकिन, कभी फ़ोन मिलता नहीं है इस लिए आज घर पर कोई नहीं है...तो आपको फोन कर दिया। आप अपना ध्यान रखो मैं कुछ कहता उतने में कोई आ जाता है और फ़ोन कट जाता है..।
मुझे बात करनी थी लेकिन कोई रास्ता नहीं था कैसे बात होगी ये सोच कर एक दिन पुणे उससे मिलने जाने का मन बना लिया और घर पर बोल कर निकल गया पुणे पहुँच तो गया पर मेरी और उसकी मुलाकात नहीं हो पाई
मैं घर फिर लोट आया और सोचा अब अपनी पढ़ाई पूरी करना है और एक अच्छी नौकरी चाहिए। कुछ ही दिनों में नौकरी तो मिल गई और सब कुछ ठीक चलने लगा था जीवन में एक बार फिर बॉस के कार्य के लिए पुणे जाना पड़ा था। उस दिन कार्य पूरा हो जाने के बाद मुझे पानी पूरी खाते वो दिखी मेरी आंखे उसकी ओर देख कर आँसू की एक धार बहने लगी और वो सारी बातें याद आ रही थीं जो उसने उस मन्दिर पर वादे किए थे जब हम पहली बार मिले थे। जब उसके पास गया तो उसने मुझे देख कर ही रोने लगी और कहने लगी मैंने आपको धोखा दिया है मुझे ऊपर वाला माफ़ नहीं करेगा।
मैंने कहा ऐसा नहीं है जो लिखा है जीवन में सब वही हो रहा है
तुम्हें शादी क्यों नहीं की इतने साल मेरा इंतजार क्यों किया
ये बोल कर मैंने कहा मुझे तुम से ही शादी करना थी
क्या तुम अभी मुझसे शादी कर सकते हो..?
उसने कहा, मेरे पापा ने गांव से बाहर निकल दिया इस लिए की में तुम्हे साथ थी अभी उन्हें पता चलेगा तो
मेंने कहा में जा कर बात करता हूँ कभी हा बोल दिया तो अभी तो में नौकरी भी करता हूँ और सुना है सरकारी नौकरी वालों को कोई न कैसे बोल सकता है..!
ये बात सच हुई और उसके पापा से शादी की बात कर अगले साल शादी करा देते.. ये सुन कर मेरी खुशी मानो चौथे आसमान पर थी।
हम दोनों की शादी हो गई और आज ये मेरे सर के बल काले रंग से काले कर रही है ताकि में आज भी उसे जवान दिखूँ..। खुद तो अपना कभी ध्यान रखी नहीं लेकिन मेरा पूरा ध्यान रखती है।
सच्चा प्यार हो तो मिलता जरूर है।
ये बारिश आई तो तेरी याद में गुम सा हो गया था
सोचा लिख दूँ...तेरी ये प्रेम कहानी...
नोटः यह लेखक की निजी व मौलिक रचना है। इस कहानी के सर्वाधिकार लेखक के सुरक्षित हैं इसे बिना लेखक की अनुमति के किसी अन्य प्लेटफार्म पर प्रकाशित किया प्रतिबंधित है। लेखक : कमलेश सोनार, KHANDWA, (MP, INDIA), +91 9340915589
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