देश को मेडल दिलाने वाली महिलाओं के साथ हो न्याय
लेखक: ज्योति गौर (स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखक, खंडवा, म.प्र.)
हमारे देश में हम महिलाओं को बराबरी का हक देने की बात करते हैं। महिलाओं के लिए कई नीतियां बनाई जाती है। जिससे समाज में उनके प्रति कोई भेदभाव ना हो। जेंडर समानता का सिद्धांत भारतीय संविधान की प्रस्तावना, मौलिक अधिकारों, मौलिक कर्तव्य, और नीति निर्देशक सिद्धांतों में प्रतिपादित है। संविधान महिलाओं को न केवल समानता का दर्जा प्रदान करता है। अपितु राज्य को महिलाओं के पक्ष में सकारात्मक भेदभाव के उपाय करने की शक्ति भी प्रदान करता है।
लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के ढांचे के अंतर्गत हमारे कानूनों, विकास संबंधी नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों में विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की उन्नति का उद्देश्य बनाया गया है। फिर आज देश को मेडल दिलाने वाले हाथ अपने के अधिकारों के लिए क्यों लड़ रहे हैं। आखिर देश का नाम ऊंचा करने वाली महिलाओं जिन्होंने अपने देश के लिए कई पदक जीते उन्हें न्याय कब मिलेगा?
लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में महिलाओं की उन्नति के लिए कई कड़े कानून बनाए गए हैं। जिससे महिलाएं समाज में पुरुषों के बराबर कंधे से कंधा मिलाकर चल सकें और देश की उन्नति में अपनी भागीदारी दिखा सकें। फिर भी आज देश को मेडल दिलवाने वाली महिलाओं को न्याय पाने के लिए कितनी जद्दोजहद का सामना करना पड़ रहा है। आज मेरे देश की महिला पहलवान न्याय पाने के लिए जंतर मंतर पर आंदोलन कर रही है। यह वह महिला पहलवान हैं । जो अपने आप पर हुए उत्पीड़न के आरोप लगा रही है और सरकार से न्याय चाहती है।
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Source: ANI |
महिलाओं के मुताबिक ब्रिज भूषण शरण सिंह जो कि भारतीय कुश्ती संघ (डब्लू एफ आई) के अध्यक्ष हैं और साथ ही साथ भारतीय जनता पार्टी के सांसद भी हैं। इन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा रही है।
यह महिलाएं कोई साधारण महिलाएं नहीं है। यह हमारे देश की एथलीट हैं। जिन्होंने देश के नाम मेडल किए हैं और देश को गौरवान्वित महसूस कर आया है। यह महिलाएं वह प्रेरणा का स्त्रोत है, जिन्हें देखकर कई दूसरी महिलाएं अपने आप को सशक्त महसूस करती हैं और आगे बढ़ने का सपना अपने आंखों में संजोती हैं। इन महिलाओं को ही देखकर हमारे देश की कई महिलाओं ने आगे बढ़ने का सपना देखा होगा। फिर आज इन प्रेरणा स्रोतों को न्याय क्यों नहीं मिल रहा है।
महिलाओं को समानता का अधिकार देने वाले हमारे इस देश में आज महिलाएं अपने प्रति हुए यौन उत्पीड़न के लिए न्याय मांग रही है। आखिर क्यों न्याय पाने के लिए महिलाओं को सड़कों पर उतरना पड़ता है। आखिर क्यों बिना किसी आंदोलन के सीधे इनकी आई आर दर्ज नहीं हो सकती, आखिर कब सच में महिलाओं की आवाज बुलंद होगी। कब महिलाओं को सच में बिना किसी आंदोलन के अधिकार प्राप्त होगा।
वहीं दूसरी तरफ हम महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए बराबरी की बात करते हैं, न्याय की बात करते हैं। महिलाओं के लिए कई नीतियां बनाई जाती हैं। फिर भी ऐसी परिस्थितियों में महिलाओं को न्याय पाने के लिए सड़कों पर उतरना पड़ता है , आंदोलन करना पड़ता है। ऐसे समय में हमारे द्वारा बनाई गई नीति और कानून आखिर क्यों काम नहीं करते, आखिर क्यों देश को मेडल दिलाने वाली महिला पहलवान आज सड़कों पर है। आखिर कब इन्हें इंसाफ मिलेगा?
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