संसद भवन की पुरानी इमारत का अपना
गौरवशाली इतिहास है..
लेखक: सुनील कश्यप (समाज सेवक और पत्रकार)
यह जान कर खुशी हुई कि, संसद भवन की नई इमारत बन कर तैयार हो गई है। 28 मई को माननीय प्रधानमंत्री जी इसका उद्घाटन करने जा रहे हैं। इसकी आधारशिला भी माननीय प्रधानमंत्री जी ने ही 10 दिसंबर, 2020 को भूमिपूजन के साथ रखी थी। ढ़ाई साल में यह विशाल ऐतिहासिक भवन बन कर तैयार हो गया।
संसद भवन की पुरानी भव्य इमारत का भी अपना इतिहास है। इसका शिलान्यास 12 फरवरी, 1921 को ड्यूक आफ कनाट द्वारा किया गया था जो 6 साल से भी कम समय में बन कर तैयार हुई तथा इसका उदघाटन तत्कालीन गवर्नर गनरल लार्ड इरविन ने 19 जनवरी, 1927 को किया। तब ब्रिटिश काल में किसी भारतीय नेता का इस समारोह में शामिल होने का तो सवाल ही नहीं उठता।
समय के साथ-साथ आवश्यकताएं बढ़ीं लोक सभा तथा राज्य सभा सचिवालय का भी विस्तार होने लगा। संसद भवन छोटा पड़ने लगा तो 3 अगस्त, 1970 को तत्कालीन लोक सभा अध्यक्ष श्री गुरुदयाल सिंह ढिल्लों एवं राष्ट्रपति श्री वी वी गिरि ने संसद भवन एनेक्सी नाम से दूसरी बिल्डिंग की आधारशिला रखी। इस समारोह में सभी सांसदों के साथ साथ लोकसभा तथा राज्यसभा के कर्मचारियों को भी आमंत्रित किया गया था। मुझे भी इस भव्य समारोह में शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसे "संसदीय सौध" नाम से भी जाना जाता है। लगभग पाँच वर्षों में यह इमारत बनकर तैयार हुई थी तथा 24 अक्तूवर, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी द्वारा इसका विधिवत उद्घाटन किया गया।
संसद भवन तथा संसद भवन एनेक्सी के अलावा एक और इमारत "संसदीय ज्ञानपीठ" (संसद ग्रंथालय भवन) भी है। इसका शिलान्यास 15 अगस्त, 1987 को तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री राजीव गांधी द्वारा तथा 17 अप्रेल,1994 को तत्कालीन लोक सभा अध्यक्ष श्री शिवराज पाटील के भूमिपूजन के साथ निर्माण कार्य शुरू हुआ। 7 मई, 2002 को तत्कालीन राष्ट्रपति श्री के आर नारायनन ने इसका उदघाटन किया था।
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