'Not my King' के नारे लगाकर, 70 साल बाद मिले राजा का ब्रिटेन में हुआ विरोध
लंदन के वेस्टमिंस्टर एबे में हुआ ताजपोशी समारोह, दुनिया भर से कुल 2000 मेहमान हुए शामिल
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Source:PTI |
आखिरकार लंबे इंतजार के बाद ब्रिटेन के राजा बने किंग चार्ल्स तृतीय की 06 मई को ताजपोशी हो गई। ब्रिटिश राजशाही के शीर्ष पद पर कााबिज होतो ही ब्रिटेन के राजा संवैधानिक से लेकर कामनवेल्थ राजशाही स्वीकार करने वाले देशों के प्रमुख भी बन गए हैं। 70 साल पहले चार साल की उम्र में किंग चार्ल्स ने अपनी मां को ब्रिटेन की रानी बनते देखा था। 1200 साल की ब्रिटिश राजशाही में किंग चार्ल्स 62वें राजा हैं। ब्रिटेन के राजसिंहासन पर 70 साल तक रानी एलिजाबेथ द्वितीय ने राज किया।
किंग चार्ल्स की ताजपोशी ब्रिटेन के इतिहास में सबसे बुजुर्ग राजा की ताजपोशी है। उनसे पहले 1830 में विलियम चतुर्थ सबसे अधिक उम्र में ब्रिटेन के राजा बने थे। विलियम चतुर्थ की उम्र तब 64 साल 208 दिन थी। किंग चार्ल्स 2022 में जब राजा बने तब उनकी उम्र 73 साल 298 दिन थी।
गौरतलब है कि, एक ओर जहां ब्रिटेन के नए राजा की तजपोशी का जश्न मनाया जा रहा था। दूसरी ओर सड़कों पर राजशाही के खिलाफ "NOT MY KIng" (मेरे राजा नहीं हैं) के नारे लगे रहे थे। समारोह स्थल से कुछ ही दूरी पर हजारों लोग इस आधुनिक "राजतंत्र" के खिलाफ प्रदर्शन करते दिखे। इस प्रदर्शन में शामिल राजतंत्र विरोधी संगठन 'रिपब्लिक' के नेता ग्राहम स्मिथ और 51 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया।
'रिपब्लिक' लंबे समय से राजशाही के खिलाफ "Not MY King" नाम का कैंपेन चला रहा है। 'रिपब्लिक' ने कहा कि स्मिथ को प्रदर्शन शुरू होने से पहले ही हिरासत में ले लिया गया। हालांकि कुछ घंटे बाद उन्हें छोड़ दिया गया।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, लंदन के अलावा ग्लास्गो, स्कॉटलैंड और वेल्स में भी प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि इस आधुनिक संवैधानिक गणतंत्र में राज परिवार का कोई काम नहीं है। शाही परिवार का खर्च भी काफी ज्यादा है। एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि आपको नहीं लगता कि ये सबकुछ पूरी तरह मूर्खतापूर्ण है। रिपोर्ट के अनुसार अलग-अलग जगहों से कुल 52 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
ब्रिटेन इस वक्त आर्थिक संकट से भी जूझ रहा है। इसलिए राजशाही के खिलाफ ये विरोध बढ़ा है।लोगों का कहना है कि टैक्सपेयर्स के पैसों पर इस तरह का खर्च नाजायज है।
यह है ताजपोशी का अनुमानित खर्च
हालांकि, इस ताजपोशी के कार्यक्रम पर होने वाले खर्च के बारे में कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं दिया गया है। कई मीडिया रिपोर्ट्स में माना जा रहा है कि इस आयोजन पर करीब 5 से 10 करोड़ पाउंड खर्च हुए हैं। ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है और आमलोग बढ़ती महंगाई और ऊर्जा संकट के दौर में भारी दिक्कतों को सामना कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में इस शाहखर्ची के साथ ताजपोशी करने की आलोचना भी हो रही है।
ऐसी है ब्रिटेन की शासन व्यवस्था
ब्रिटेन में संसदीय राजतंत्र की व्यवस्था है। मतलब कि यहां जनप्रतिनिधि चुनकर संसद आते हैं, प्रधानमंत्री बनते हैं। लेकिन औपचारिक रूप से राष्ट्र प्रमुख यहां के राजा हैं। राज परिवार को सरकार के हर कामकाज की जानकारी दी जाती है। चुनाव के बाद सरकार की औपचारिक नियुक्ति करते हैं। साथ ही सरकार को भंग करने का अधिकार भी उनके पास होता है। संसद से पास हुए कानूनों को औपचारिक स्वीकृति भी राजा ही देते हैं।
ऐतिहासिक है ब्रिटेन में ताजपोशी की परंपरा
ब्रिटेन के इतिहास में ताजपोशी की परंपरा लगभग 1200 सालों से चली आ रही है। इसे पहले महारानी एलिजाबेथ II की ताजपोशी 2 जून 1953 को वेस्टमिंस्टर एबे में हुई थी। उस वक्त किंग चार्ल्स की उम्र मात्र 04 वर्ष थी। एलिजाबेथ II की ताजपोशी में भाग लेने के लिए 8000 मेहमान आए थे और लाखों लोगों ने टीवी के माध्यम से कार्यक्रम का प्रसारण देखा था। उस समय समारोह को आयोजन करने में 16 करोड़ का खर्च आया था। 70 देशों के प्रतिनिधियों ने समारोह में भाग लिया था। भारत के तरफ से तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने शिरकत की थी।