निष्पक्ष पत्रकारिता को नये आयामों की जरुरत!
लेखक- गौरव दफ्तरी
स्वतंत्र ,निर्भिक और निष्पक्ष पत्रकारिता ही आज समय परिस्तिथि काल की मांग है। जो लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करता है। हमारा देश विश्व में सबसे युवा देश है। युवा देश होने के कारण युवाओ के मत का प्रभाव देश विकास में अहम् भागीदारी के रूप में है। आज युवाओं को अच्छे मंच की अवश्यकता है, जिसके द्वारा वह अपनी बात को बेबाकी से रख सकें।
3 मई, 2022 को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस (WPFD) के अवसर पर ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (RSF) द्वारा विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक का 20वाँ संस्करण प्रकाशित किया गया था। 180 देशों में भारत 150वें स्थान पर है। जो पत्रकारिता के लिए ‘मुश्किल परिस्थिति’ वाले देशों की श्रेणी है। हमारे देश में “स्वतंत्र निष्पक्ष पत्रकारिता ही आज हों कहा रहीं है? कुछ पत्रकारिता संस्थान को छोड़कर जनहित, सामजिक मुद्दे आज कहा कोई उठा रहा हैं? आज की पत्रकारिता अपनी सहूलियत के हिसाब से की जा रही हैं। लगभग सभी पत्रकारिता संस्थान किसी ना किसी विचारधारा को लेकर चल रहे हैं, जो विश्वनीयता पर कई सवाल खड़े करते हैं। क्या पत्रकारिता को चौथा स्तंभ कहना सिर्फ बातो में ही रह गया है? पत्रकारिता का निष्पक्षता से दूर होने के मुख्य कारण पेडन्यूज़ और बढ़ता राजनैतिक दखल हैं। इनके प्रभाव के कारण सामाजिक मुददों का न उठना। भ्रष्टाचार हैं, जो दिख नहीं रहा क्योंकि मीडिया उसे नही दिखा रहा। व्यावसायिकता भी निष्पक्ष पत्रकारिता में अहम् रोड़ा बन रही हैं। आजादी के पूर्व पत्रकारिता एक मिशन के रूप में कार्य करती थी। वही आजादी के बाद व्यावसायिकता के रूप में आ गयी| पत्रकारों की नेताओ से साठं-गाठं भी आज आम बात हो गयी हैं ,पता यह चल रहा है की पत्रकारिता को माध्यम बनाकार धन और बल के प्रभाव से नेताओं की छवि निर्माण का कार्य हो रहा हैं। जिस नेता पर भ्रष्टाचार के आरोंप हैं, जो नेता अपनी कर्मभूमि के लिए विकास में कोई भागीदारी नहीं निभा रहा हैं, फिर भी किसी न किसी प्रतिष्ठित अखबार ब्रांडएम्बेसडर बन कर बैठे हैं। आज के समय में हम निष्पक्ष पत्रकारिता को देखना चाहते हैं तो सिर्फ पत्रकार ही नही पत्रकारिता संस्थानो को भी एक दुसरे का साथ देना होगा। पत्रकार समाज के लिये आईने की तरह कार्य करता है, लेकिन अकेला पत्रकार कुछ नहीं कर सकता पत्रकारिता संस्थानो को भी साथ आना होगा। लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करना है तो पत्रकारिता संस्थानो से नेताओं का नियंत्रण, पेडन्यूज़ आदि को दूर ही रखना होगा। समाज की हर छोटी बड़ी घटनाओ को प्रकाशित करना होगा। लोकतंत्र की मजबूती के लिये निष्पक्ष और साहसिक पत्रकारिता के लिए युवा प्रतिभाओं को पत्रकारिता में मौका देना होंगा। तभी यह संभव हो पाएगा।
“प्रेस की मजबूती-लोकतंत्र की मजबूती ”