जयपुर से प्रकाशित मीडिया त्रैमासिक कम्युनिकेशन टुडे की 97वें वेबिनार 'गांधी करिश्माई संचारक' विषय पर आयोजित किया गया।
वेबिनार को संबोधित करते हुए भावनगर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो विद्युत जोशी ने कहा कि गांधी ने व्यक्ति समाज और संस्कृति को बदलने का आह्वान किया। उन्होंने कहा की गांधी के विचारों को आदर्श मानते हुए हमें आज की शिक्षा पद्धति में चार एच हैड, हैंड, हार्ट और हार्मनी को जोड़ना होगा। उनका मानना था कि आज इस उपभोक्तावादी संस्कृति तथा बाजारवादी शक्तियों के प्रभाव से हम पूरी तरह जकड़े जा चुके हैं। अब व्यक्ति की पहचान स्वयं से नहीं पैन नंबर और आधार नंबर से हो रही है।
राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर की गांधी अध्ययन केंद्र की पूर्व निदेशक प्रो. विद्या जैन कहा गांधी क्रांति दृष्टा थे। गांधी पहले से ज्यादा आज प्रासंगिक हो गए हैं। उनका मानना था की पोस्ट कोविड दौर में प्रकृति ने व्यक्ति को यह समझा दिया कि यदि मनुष्य उसका प्रतिकार करेगा और धरती मां के साथ सद्भाव का व्यवहार नहीं करेगा तो वह स्वयं भी ढंग से जी नहीं पाएगा। उन्होंने कहा की गांधी ने प्रतिस्पर्धा नहीं सहयोग और सद्भाव का जीवन जीने की आवश्यकता महसूस की लेकिन हमने जीवन को ऐसा पिरामिड बना दिया है जहां एक व्यक्ति दूसरे को कुचलते हुए आगे बढ़ जाना चाहता है।
गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद की पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की प्रोफेसर डॉ. पुनीता हरने ने उनके विभाग की ओर से संचालित ग्रामीण जीवन यात्रा जैसे अभियानों के माध्यम से समाज में निरक्षरता उन्मूलन से लेकर मद्यपान निषेध तक की भावना को जागृत करने के अनुभव साझा किए।
कम्युनिकेशन टुडे के संपादक प्रो संजीव भानावत ने विषय प्रवर्तन करते हुए लाल बहादुर शास्त्री और महात्मा गांधी को याद किया। उन्होंने कहा की लाल बहादुर शास्त्री स्वाधीनता आंदोलन में गांधी जी की प्रेरणा से ही जुड़े थे और इसी आंदोलन ने उनके अंदर अद्भुत संकल्प शक्ति का विकास किया। गांधी की भांति ही लाल बहादुर शास्त्री ने पूरी दृढ़ता के साथ न सिर्फ देश की आजादी के आंदोलन में अपनी भागीदारी निभाई वरन प्रधानमंत्री के रूप में भी अपने कर्तव्यों की पालन किया। प्रो. भानावत ने कहा कि गांधी ने बहुत ही सरल, सहज भाषा एवं प्रतीकों के माध्यम से आम आदमी के साथ सीधा संवाद किया और यही कारण है कि उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ अहिंसा के बल पर स्वाधीनता आंदोलन को पूरे देश में आम आदमी के साथ जोड़ा।
इस चर्चा में पी आर गुरु सुरेश गोड ने गांधी की हत्या पर आधारित केंद्रित एक नाटक में सहभागिता के संस्मरण सुनाए वहीं बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के डॉ बाला लखेन्द्र ने वहां के पत्रकारिता विभाग की ओर से गांधी मूल्यों पर केंद्रित साइकिल यात्रा के बारे में चर्चा की।
हिसार की मीडिया लिटरेसी ट्रेनर कवयित्री डॉ प्रज्ञा कौशिक ने गांधी के जीवन मूल्यों से जुड़ी अपनी एक कविता प्रस्तुत की।
हरियाणा के डॉ दयानंद कादियान ने गांधी की पत्रकारिता पर टिप्पणी की तो पूना के जयवीर सिंह ने युवाओं में गांधी विचारों को जोड़ने की आवश्यकता महसूस की ।
तकनीकी पक्ष आईआईएमटी यूनिवर्सिटी, मेरठ की मीडिया शिक्षक डॉ पृथ्वी सेंगर ने संभाला। इस वेबिनार में देश विदेश के विभिन्न अंचलों से 297 प्रतिभागियों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया।