भारत और इज़राइल ने मनाया
105वां हाइफ़ा विजय दिवस
नई दिल्ली। भारत और इज़राइल ने 23 सितंबर को दिल्ली के तीन मूर्ति हाइफ़ा चौक पर अपना 105वां हाइफ़ा विजय दिवस मनाया। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अपनी वीरता दिखाने वाले वीर भारतीय सैनिकों को सम्मान देने और उनके योगदान को याद करने के लिए, दोनों देशों के कई सम्मानित अतिथिगण इस अवसर पर उपस्थित हुए।
कार्यक्रम की शुरुआत भारत के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम से हुई।इजराइल की स्वतंत्रता के लिए अपनी जान गंवाने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए वहां मौजूद सभी लोगों ने मौन व्रत रखा।
लेफ्टिनेंट जनरल आर.एन. सिंह (राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच) ने हाइफ़ा विजय के 6वें वर्ष पर अतिथियों का स्वागत किया और इस दिन के विषय मे और महत्व पर संक्षेप में चर्चा की। यह भारत के स्वतंत्रता से पहले, सैन्य इतिहास की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक थी। इस दौरान भारतीय सैनिकों ने भारत और इज़राइल के बीच भरोसेमंद संबंधों के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। यह सबके लिए साहस और निडरता का दिन रहा।
सतीश उपाध्याय (उपाध्यक्ष, एनडीएमसी) ने मंच संभाला और भारत के वसुधैव कुटुंबकम के आदर्श वाक्य पर जोर दिया, जहां पूरी दुनिया एक बड़ा परिवार है। उन्होंने फोरम फॉर अवेयरनेस ऑफ नेशनल सिक्योरिटी (एफएएनएस) के वार्षिक कार्यक्रमों में हाइफा विजय दिवस को शामिल करने की घोषणा की।
ओहद नकाश कयनार (मिशन के उप प्रमुख, इज़राइल-भारत दूतावास) ने आदरणीय व्यक्तियों और दर्शकों का नमस्ते के साथ स्वागत किया और उन बहादुर आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित की जिन्होंने इज़राइल को एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के लिए अपने जीवन का बलिदान देकर लोगों को प्रेरित किया। स्वतंत्रता, लोकतंत्र और न्याय के प्रति साझा प्रतिबद्धता ने भारत और इज़राइल के बीच मजबूत संबंधों का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने जनता के नाम संबोधन को जय भारत, जय इजराइल के साथ खत्म किया |
जनरल वी.के. सिंह (भारत सरकार में सड़क, परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री) ने उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों और अन्य अधिकारियों के प्रयासों की सराहना की, जिनके बिना पिछले छह वर्षों में हाइफ़ा विजय दिवस का यह वार्षिक उत्सव संभव नहीं होता। उनके अनुसार, युद्ध का सबके उपर लम्बे समय तक प्रभाव पड़ा जिसके परिणामस्वरूप ओटोमन साम्राज्य का विभाजन हुआ, जिससे अंत मे इज़राइल का निर्माण हुआ। जवानों द्वारा किए गए इस बहादुरी के कारनामे को याद रखने की दो वजहें हैं. पहला, इजराइल के स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान और दूसरा, भारत और इजराइल के बीच समृद्ध संबंध।
डॉ. इंद्रेश कुमार (राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) ने भारत के सैनिकों द्वारा प्रदर्शित वीरता पर विचार-विमर्श किया। उन्होंने पाकिस्तान (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) और चीन (चीन अधिकृत कश्मीर) द्वारा कब्जा की गई भारतीय क्षेत्रों की चिंताओं पर संक्षेप में चर्चा की और कुछ वर्षों के भीतर उन्हें मुक्त कराने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि भारत का भविष्य उज्ज्वल और सुंदर है।
अंत में, सूरज भट्टाचार्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया। संस्था के मनदीप कुमार अग्रवाल ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों, दिल्ली पुलिस, एनसीसी कैडेटों, संगीतकारों, स्कूली बच्चों और सबसे ऊपर उन सैनिकों के प्रति आभार व्यक्त किया जो हर कीमत पर अपनी मातृभूमि की रक्षा करते हैं। एवं अंत में कार्यक्रम का समापन भारत के राष्ट्रगान के साथ किया गया।