मुख्यमंत्री नेतृत्व क्षमता विकास पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों ने बोरी बंधान कर किया श्रमदान
खंडवा (म.प्र)। दुनिया भर में जल संकट एक गंभीर विषय बनकर उभर रहा है। नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार अगर भारत में जल संरक्षण के तरीकों पर जोर नहीं दिया गया तो वो दिन दूर नहीं जब बेंगलुरु, दिल्ली और हैदराबाद जैसे अन्य 20 शहरो में अगले कुछ सालों में भूजल संकट गहरा सकता है।
इस संकट से निपटने के लिए हमें तीन स्तरों पर विचार करने की आवश्यकता है -पहला यह कि अब तक हम जल का उपयोग किस तरह से करते थे? दूसरा भविष्य में कैसे जल संरक्षित किया जाये? तथा जल संरक्षण के लिए कौन से बेहतर कदम उठाए जाये? पूरी स्थिति पर नजर डालें तो यह तस्वीर उभरती है कि अभी तक हम जल का उपयोग अनुशासित ढंग से नहीं करते हैं साथ ही जरूरत से ज्यादा जल का नुकसान करते हैं। ऐसे में हमे जल संरक्षण के लिए कई कदम उठाने चाहिए। वैसे कुछ सालों से जल संरक्षण को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है,और वह नए-नए प्रयोग से अपने यहां जल संरक्षित करने का काम कर रहे है।
मुख्यमंत्री नेतृत्व क्षमता विकास पाठ्यक्रम के बीएसडब्ल्यू और एमएसडब्ल्यू के विद्यार्थियों ने जल संरक्षण के लिए एक अनूठी पहल, ग्राम टिटिया जोशी के पास स्थित नाले पर श्रमदान कर बोरी बंधान का कार्य किया गया।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य जल संरक्षण के महत्व को समझाना और लोगों को इसके प्रति जागरूक करना था। छात्र-छात्राओं ने नाले पर बोरी बंधान के माध्यम से जल संरक्षण का संदेश दिया। जिला समन्वयक जगदीश पटेल ने कहा,"जल संरक्षण हमारे भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हमें जल का संचयन करना और इसका सही उपयोग करना चाहिए।
इस बोरी बंधान की तकनीक से खेतो को पानी,मवेशियों को पानी भी मिलेगा और गर्मी के दौरान जल संकट की समस्या, मिट्टी का कटाव रुक जायेगा। जगह-जगह जल भंडारण होने से भूगर्भीय जलस्तर भी बढ़ेगा। विद्यार्थियों के इस प्रयास ने यह बता दिया है की अगर हम व्यक्तिगत स्तर से जल संरक्षण काम करेंगे तो जरूर सफल होगें।
इस अवसर पर जिला समन्वयक जगदीश पटेल, ब्लॉक समन्वयक राजकुमार मालाकार, मेंटर्स आशीष पटेल, लालू सिंह सोलंकी, राहुल राठवे, विधार्थी गौरव दफ़्तरी, संदीप कटारे, मुकेश मालाकार, तबस्सुम खान, अमिता वास्कले, मंजू तंवर, ज्योति खंडेल एवं समस्त बीएसडब्ल्यू और एमएसडब्ल्यू विद्यार्थी उपस्थित रहे।