निमाड़ के सुप्रसिद्ध संत सियाराम बाबा आज ब्रह्मलीन हो गए। उन्होंने सुबह 6:10 बजे देह त्याग दी है। पिछले कुछ दिनों से सियाराम बाबा बीमार चल रहे थे। वे आज शाम 4:00 बजे नर्मदा नदी किनारे पंचतत्व में विलीन हों गये।
खरगौन: निमाड़ के सुप्रसिद्ध संत और प्रभु श्री राम के अनन्य भक्त सियाराम बाबा आज ब्रह्मलीन हो गए। बुधवार सुबह 6:10 बजे उन्होंने देह त्याग दी है। लंबे समय से सियाराम बाबा बीमार चल रहे थे। उनके निधन की खबर सुनने के बाद उनके भक्त बड़ी संख्या में आश्रम पहुंचना शुरू हो चुके हैं। आज शाम 4:00 बजे उन्हें नर्मदा नदी के किनारे पंचतत्व में विलीन किया जाएगा। संत सियाराम बाबा काफी समय से बीमार चल रहे थे। जिसके चलते उनका आश्रम में ही इलाज किया जा रहा था। बीती रात उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। जानकारी के मुताबिक बीती रात उन्होंने कुछ भी नहीं खाया था, जिससे और ज्यादा कमजोरी आ गई। वही आज सुबह उनका प्रभु से मिलन हो गया।
दोपहर 3:00 बजे निकला डोला
संत सियाराम बाबा निमाड़ के सुप्रसिद्ध संत थे। वह खरगोन के भट्यान स्थित आश्रम में प्रभु श्री राम की भक्ति किया करते थे। उनके निधन की खबरें मिलने के बाद बड़ी संख्या में भट्यान स्थित आश्रम में भक्तों की भीड़ लगना शुरू हो गई। आज दोपहर 3:00 बजे उनका डोला निकाला गया। शाम 4:00 बजे के करीब उन्हें पंचतत्व में विलीन किया गया। संत सियाराम बाबा के सेवादारों ने उनकी अंत्येष्टि के लिए चंदन की लकड़ी की व्यवस्था की थीं। पिछले कुछ समय से डॉक्टरों की टीम उनकी देखभाल कर रही थी।
बाबा लगातार करते थे रामायण पाठ सियाराम बाबा अपनी दिनचर्या में लगातार रामायण पाठ करते रहते थे। भक्तों के अनुसार वे 21 घंटों तक रामायण का पाठ करते थे। 95 साल की आयु में उन्हें चश्मा भी नहीं लगा था। भक्तों के अनुसार उन्होंने सियाराम बाबा को हमेशा लंगोट में ही देखा है। सर्दी, गर्मी या बरसात वे लंगोट के अलावा कोई कपड़े नहीं पहनते थे।
गुजरात के भावनगर से आए थे
बाबा का जन्म 1933 में गुजरात के भावनगर में हुआ था। 17 साल की उम्र में उन्होंने आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का फैसला किया था। उन्होंने कई सालों तक गुरु के साथ पढ़ाई की और तीर्थ भ्रमण किया। वे 1962 में भट्याण आए थे।
यहां उन्होंने एक पेड़ के नीचे मौन रहकर कठोर तपस्या की। जब उनकी साधना पूरी हुई तो उन्होंने 'सियाराम' का उच्चारण किया, जिसके बाद से ही वे सियाराम बाबा के नाम से जाने जाते हैं। वे भगवान हनुमान के परम भक्त हैं।