इस तरह रजिस्टर करा लेते थे फर्जी फर्म
डाउनलोड किए गए रेंट एग्रीमेंट, इलेक्ट्रिसिटी बिल को एडिट करके फर्म का फर्जी एड्रेस तैयार करते थे। जिन लोगों का आधार कार्ड लेते थे, उस नाम पर पैन कार्ड डाटा सर्च किया जाता था। जैसे ही आधार कार्ड में किसी एक नाम के डेटा के 80 नाम कॉमन पाए जाते थे तो ऐसे सभी 80 नामों के पैन कार्ड पर एक नाम के आधार कार्ड और अन्य फर्जी दस्तावेजों को शामिल करके फर्जी फर्म रजिस्टर करवा ली जाती थी।
फर्म को ऑनलाइन वेरीफाई कराने का यह निकाला था जुगाड़
जीएसटी नंबर रजिस्टर करवाने के लिए reg.gst.gov.in लॉगइन करते थे। जीएसटी पोर्टल में फर्म रजिस्ट्रेशन करने के लिए लॉगिन करने के दौरान जीएसटी विभाग द्वारा एक वेरीफिकेशन कोड भेजा जाता था, जो इनके द्वारा आधार से रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर पहुंच जाता था। उस कोड को जीएसटी पोर्टल पर डालकर वेरीफाई करके फर्जी फर्म रजिस्टर करवा ली जाती थी।
पहली टीम दूसरी टीम के साथ करती थी खरीद-फरोख्त
पहली टीम द्वारा रजिस्टर करवाई गई फर्म दूसरी टीम को प्रति फर्म 80 हजार से 90 हजार रुपये के हिसाब से बेच दिया जाता था। पुलिस को अब तक 2660 फर्जी GST फर्म तैयार किए जाने की जानकारी मिली है। बिना माल का आदान प्रदान किए फर्जी बिल तैयार कर जीएसटी रिफंड करा लिया जाता था। एक फर्जी फर्म से एक महीने में 2-3 करोड़ रुपये का फर्जी बिल उपयोग किया जाता था।
गिरोह के मास्टरमाइंड पति-पत्नी सहित आठ को किया अरेस्ट
फिलहाल पुलिस ने गिरोह के मास्टरमाइंड पति-पत्नी सहित 8 लोगों गिरफ्तार किया है, जबकि 7 लोग अभी फरार हैं, उनकी तलाश में पुलिस जुटी है। गिरोह के द्वारा अब तक 10 हजार करोड़ के हेरफेर की बात सामने आई है। पुलिस मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के लिहाज से भी जांच कर रही है। इनकम टैक्स सहित केंद्रीय एजेंसियों को मामले की जानकारी पुलिस ने दी है।